*🌞सूर्य स्नानं (धुप)*
संसार के सभी प्राणियों का जीवन कार्य बहुत कुछ सूर्य पर निर्भर है। किसी पौधे को धुप से हटाते ही मुरझाने लगेगा और शीघ्र प्रकाश में न लाने पर वह मर जायगा। पौधे के पतियों को हरियाली देने वाला तत्त्व ही रक्त को लाली देता है। तब धुप न पाने वालो लोगो के चेहरे पिले ओर मुरझाये दिखाई दे, इसमें आश्चर्य क्या ? धुप को न घुसने देने वाली के गलीयो में चलने वाले, प्रकाशविहीन ऊंचे ऊंचे मकानो में रहने वाले, ऑफिस के बंध कमरों में काम करने वाले लोग जरा अपनी बदन के तुलना धुप और प्रकाश से भरे खेत में काम करने वाले मजदूर के शरीर से करें। कहां तो उनका मुरझाया, पीला, निस्तेज शरीर, कहां वो तांबे-सी तपी देह, जैसे तेज प्रस्फुटित हो रहा हो।
प्राणदायिनी धुप से दूर रहने वाले लोग अधमरे से रेहेत है, पर ताज्जुब के वह धुप से हटाये पौधे की तरह मुरझाकर मर नहीं जाते? कारण, जो फल-तरकारियां एवं ऐसे खाध जिन्हे आग की संपर्क में लाये बिना खाया जाता है उनमें सूर्य का समाहित प्रकाश उन्हें मिल जाता है, और जीवन-कार्य किसी तरह चलता रहता है।
जीवनी-शक्ति बढ़ाने की इच्छा रखने वाले को अधिक से अधिक धुप एवं प्रकाश में रहना चाहिए। जहां तक हो सके, प्रतिदिन कुछ समय कम से कम कपडे पहनकर हल्की धुप में नित्य कुछ समय अवश्य बिताया जाये।
जब बहार धुप खिल रही है, उस समय आप बच्चो को कमरे में रखने की कोशिश में कामयब नहीं हो सकते। उन्हें आप भले ही धुप की डर से रोक लें किन्तु उनका जी तो हमेशा धुप में उछलने - कूदने को करता ही रहेगा। छाया में बधे पशु को खोल दीजिए, वह धुप की ओर दौड़ेगा। पशु ओर बच्चों ने निसर्ग से अपना नाता अभी तक तोडा नहीं है। लेकिन हमें ऐसा लगता है की धुप में बच्चा खेलेगा तो बेचारा पनिसा पसीना हो जायेगा, कहीं बीमार न पड़ जाये, बच्चा धूप से कला पड़ जायेगा।
अगर आप अपना और अपने बच्चे का भला चाहते हैं तो नित्य प्रतिदिन थोड़ा धुप का सेवन अवश्य करें। विश्वास मानिये जीवनी-शक्ति का विकास होगा, हड्डिया मजबूत बनेंगी, सारे रोग मिटने लगेंगे। विटामिन डी. का भरपूर खजाना हैं धुप।
#Sun
संसार के सभी प्राणियों का जीवन कार्य बहुत कुछ सूर्य पर निर्भर है। किसी पौधे को धुप से हटाते ही मुरझाने लगेगा और शीघ्र प्रकाश में न लाने पर वह मर जायगा। पौधे के पतियों को हरियाली देने वाला तत्त्व ही रक्त को लाली देता है। तब धुप न पाने वालो लोगो के चेहरे पिले ओर मुरझाये दिखाई दे, इसमें आश्चर्य क्या ? धुप को न घुसने देने वाली के गलीयो में चलने वाले, प्रकाशविहीन ऊंचे ऊंचे मकानो में रहने वाले, ऑफिस के बंध कमरों में काम करने वाले लोग जरा अपनी बदन के तुलना धुप और प्रकाश से भरे खेत में काम करने वाले मजदूर के शरीर से करें। कहां तो उनका मुरझाया, पीला, निस्तेज शरीर, कहां वो तांबे-सी तपी देह, जैसे तेज प्रस्फुटित हो रहा हो।
प्राणदायिनी धुप से दूर रहने वाले लोग अधमरे से रेहेत है, पर ताज्जुब के वह धुप से हटाये पौधे की तरह मुरझाकर मर नहीं जाते? कारण, जो फल-तरकारियां एवं ऐसे खाध जिन्हे आग की संपर्क में लाये बिना खाया जाता है उनमें सूर्य का समाहित प्रकाश उन्हें मिल जाता है, और जीवन-कार्य किसी तरह चलता रहता है।
जीवनी-शक्ति बढ़ाने की इच्छा रखने वाले को अधिक से अधिक धुप एवं प्रकाश में रहना चाहिए। जहां तक हो सके, प्रतिदिन कुछ समय कम से कम कपडे पहनकर हल्की धुप में नित्य कुछ समय अवश्य बिताया जाये।
जब बहार धुप खिल रही है, उस समय आप बच्चो को कमरे में रखने की कोशिश में कामयब नहीं हो सकते। उन्हें आप भले ही धुप की डर से रोक लें किन्तु उनका जी तो हमेशा धुप में उछलने - कूदने को करता ही रहेगा। छाया में बधे पशु को खोल दीजिए, वह धुप की ओर दौड़ेगा। पशु ओर बच्चों ने निसर्ग से अपना नाता अभी तक तोडा नहीं है। लेकिन हमें ऐसा लगता है की धुप में बच्चा खेलेगा तो बेचारा पनिसा पसीना हो जायेगा, कहीं बीमार न पड़ जाये, बच्चा धूप से कला पड़ जायेगा।
अगर आप अपना और अपने बच्चे का भला चाहते हैं तो नित्य प्रतिदिन थोड़ा धुप का सेवन अवश्य करें। विश्वास मानिये जीवनी-शक्ति का विकास होगा, हड्डिया मजबूत बनेंगी, सारे रोग मिटने लगेंगे। विटामिन डी. का भरपूर खजाना हैं धुप।
#Sun
No comments:
Post a Comment